मुजफ्फरपुर | जिले में सिपाही चालक भर्ती परीक्षा (Police Driver Recruitment Exam) की शुचिता को भंग करने की कोशिश को पुलिस ने नाकाम कर दिया है। जिला स्कूल स्थित परीक्षा केंद्र पर आधुनिक तकनीक और सतर्कता के चलते एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। पुलिस ने मौके से प्रॉक्सी कैंडिडेट (स्कॉलर), सेटर और असली अभ्यर्थी को गिरफ्तार कर एक संगठित गिरोह की कमर तोड़ दी है।
बायोमेट्रिक और फेस स्कैन ने खोली पोल
परीक्षा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। फर्जीवाड़ा तब पकड़ में आया जब परीक्षा हॉल के भीतर परीक्षकों द्वारा फोटो मिलान और बायोमेट्रिक जांच की जा रही थी।

- कैसे हुआ खुलासा: स्कॉलर संतोष कुमार, असली अभ्यर्थी रंजीत कुमार का एडमिट कार्ड और आधार कार्ड लेकर परीक्षा दे रहा था। जब थंब (अंगूठा) स्कैन और चेहरे का मिलान किया गया, तो डेटा मैच नहीं हुआ।
- तत्काल कार्रवाई: संदेह पुख्ता होते ही केंद्र पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने संतोष को हिरासत में ले लिया। सख्ती से पूछताछ करने पर उसने पूरा सच उगल दिया।
चेन रिएक्शन: एक की गिरफ्तारी से पूरा नेटवर्क बेनकाब
स्कॉलर संतोष की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया:
1. स्कॉलर (संतोष कुमार): मसौढ़ी (पटना) के भखड़ा गांव का निवासी। यह रंजीत की जगह परीक्षा देने आया था।
2. सेटर (मनीष कुमार): परस बीघा (जहानाबाद/अरवल) निवासी। संतोष की निशानदेही पर इसे परीक्षा केंद्र के बाहर मैदान से गिरफ्तार किया गया। यह पूरे ऑपरेशन को कोर्डिनेट कर रहा था।
3. असली अभ्यर्थी (रंजीत कुमार): अरवल के शादीपुर गांव का निवासी। इसे भी केंद्र के बाहर से दबोच लिया गया।
मोटी रकम का लालच और कोचिंग कनेक्शन
टाउन ASP-1 सुरेश कुमार ने बताया कि आरोपियों के पास से एडमिट कार्ड, आधार कार्ड और आयोग की अटेंडेंस शीट बरामद की गई है। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि स्कॉलर और सेटर को अभी केवल खर्च के लिए पैसे मिले थे, लेकिन रिजल्ट आने के बाद “मोटी रकम” देने का सौदा तय हुआ था।
जांच का दायरा बढ़ा: पुलिस को आशंका है कि इस रैकेट के तार केवल मुजफ्फरपुर तक सीमित नहीं हैं। इसके पीछे पटना, रांची और अन्य शहरों के कोचिंग संचालकों का हाथ हो सकता है। पुलिस अब आरोपियों के मोबाइल कॉल डिटेल्स (CDR) और बैंक ट्रांजैक्शन खंगाल रही है ताकि गिरोह के सरगना तक पहुंचा जा सके।
पूर्व में भी सक्रिय रहे हैं नकल माफिया
मुजफ्फरपुर में परीक्षाओं में सेंधमारी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी हाई-टेक नकल (ब्लूटूथ, माइक्रोफोन का उपयोग) करते हुए मुन्ना भाई पकड़े जा चुके हैं। जिला स्कूल की यह घटना इस बात का प्रमाण है कि नकल माफिया अभी भी सक्रिय हैं, लेकिन प्रशासन की मुस्तैदी और डिजिटल वेरिफिकेशन ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
पुलिस की कार्रवाई:
तीनों आरोपियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एसएसपी सुशील कुमार और सिटी एसपी कोटा किरण कुमार के निर्देश पर पुलिस अब इस नेटवर्क की अन्य कड़ियों को जोड़ने में जुटी है।
प्रमुख बिंदु (Quick Highlights)
- घटनास्थल: जिला स्कूल, मुजफ्फरपुर।
- गिरफ्तार आरोपी: 3 (संतोष, मनीष, रंजीत)।
- पकड़ने का तरीका: फेस मिसमैच और फिंगरप्रिंट स्कैन फेल होना।
- कनेक्शन: पटना, अरवल, और जहानाबाद।
- अगला कदम: कोचिंग संस्थानों और बैंक खातों की जांच।