यह खबर वाकई चौंकाने वाली है और ‘नेटफ्लिक्स’ की किसी क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज जैसी लगती है। बिहार के इस ठग, गौरव कुमार सिंह, की कहानी दिखाती है कि कैसे आत्मविश्वास (Confidence), तकनीक (AI), और समाज में ‘IAS’ पद के प्रति अंधाधुंध सम्मान का गलत फायदा उठाया जा सकता है।
यहाँ इस पूरे प्रकरण का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया गया है:
1. ‘सिस्टम’ और रौब का दिखावा (Modus Operandi)
गौरव ने यह समझ लिया था कि भारत में लोग ‘प्रोटोकॉल’ और ‘बत्ती वाली गाड़ी’ को देखकर सवाल नहीं पूछते। उसने असली दिखने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया:
- दिखावे का खर्च: केवल प्रोटोकॉल बनाए रखने के लिए वह हर महीने 5 लाख रुपये खर्च करता था।
- काफिला: लाल-नीली बत्ती लगी सफेद इनोवा और 10-15 लोगों की प्राइवेट सिक्योरिटी टीम।
- दुस्साहस (Audacity): उसका आत्मविश्वास इतना ज्यादा था कि भागलपुर में एक असली SDM द्वारा सवाल पूछने पर उसने उन्हें थप्पड़ मार दिया। हैरान करने वाली बात यह थी कि उस असली अधिकारी ने ‘सीनियर’ समझकर शिकायत भी नहीं की।

2. टेक्नोलॉजी और AI (Artificial Intelligence) का दुरुपयोग
यह ठगी का पुराना तरीका नहीं था, बल्कि इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
- AI की भूमिका: गौरव के साले, अभिषेक कुमार (सॉफ्टवेयर जानकार) ने AI (Artificial Intelligence) का उपयोग करके फर्जी आईडी कार्ड, सरकारी टेंडर के दस्तावेज, और यहां तक कि अखबार की फर्जी कतरनें (News Clippings) तैयार कीं।
- नेटवर्क: यह गिरोह उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड तक फैला हुआ था।
3. ठगी का पैमाना (Financial Fraud)
गौरव ने बड़े बिजनेसमैन और ठेकेदारों को निशाना बनाया:
- टेंडर स्कैम: AI से बने फर्जी पेपर्स दिखाकर सरकारी ठेके दिलाने का दावा करता था।
- बड़ी लूट: बिहार के एक कारोबारी को 450 करोड़ का टेंडर दिलाने का झांसा देकर 5 करोड़ रुपये नकद और दो इनोवा गाड़ियां ठग लीं।
4. निजी जीवन: छल और फरेब
उसका निजी जीवन भी उसकी पेशेवर जिंदगी की तरह ही झूठ पर आधारित था:
- फर्जी पहचान का फायदा: उसने खुद को IAS बताकर कई लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाया।
- रिश्ते: पुलिस को उसकी चैट से पता चला कि उसकी 4 गर्लफ्रेंड्स थीं, जिनमें से 3 गर्भवती थीं।
- हकीकत: जबकि वह पहले से शादीशुदा था और उसने मंदिर में शादी की थी।

5. अंत: एक गलती और गिरफ्तारी
इतने शातिर अपराधी अक्सर एक छोटी सी गलती से पकड़े जाते हैं।
- कैश की बरामदगी: गोरखपुर GRP ने वैशाली एक्सप्रेस में चेकिंग के दौरान एक युवक (मुकुंद माधव) के पास से 99.90 लाख रुपये कैश पकड़ा।
- खुलासा: जब पैसों के स्रोत की जांच हुई, तो पता चला कि यह पैसा नौकरी और टेंडर के नाम पर ली गई रिश्वत थी, जो गौरव के पास जा रही थी। यहीं से पुलिस की कड़ियां जुड़ती गईं और गौरव गिरफ्तार हुआ।
निष्कर्ष (Insight)
निष्कर्ष (Insight)
यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सबक है। यह दर्शाता है कि हम किसी की ‘वर्दी’ या ‘गाड़ी’ देखकर इतना प्रभावित हो जाते हैं कि बुनियादी जांच-पड़ताल (Due Diligence) करना भूल जाते हैं। साथ ही, यह AI के दुरुपयोग का एक गंभीर उदाहरण है, जो आने वाले समय में पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनने वाला है।