बिहार का मुजफ्फरपुर शहर, जो अपनी ‘शाही लीची’ के लिए विश्वविख्यात है, पिछले कुछ वर्षों में एक गंभीर अस्तित्व संकट से जूझ रहा है। शहर के लगभग 80% लीची के पेड़ों के कटने से न केवल पर्यावरण को क्षति पहुंची है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक पहचान भी धुंधली पड़ने लगी थी। इसी अस्मिता को बचाने के लिए पर्यावरणविद् सुरेश कुमार गुप्ता द्वारा शुरू किए गए ‘लीचीपुरम सांस्कृतिक पुनर्जागरण अभियान’ ने अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है।

संकट से समाधान की ओर
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लीची को केवल एक फल तक सीमित न रखकर उसे क्षेत्र की संस्कृति, साहित्य, कला और रोजगार का माध्यम बनाना है। इसी मिशन को आगे बढ़ाते हुए ज्ञानदीप की संस्थापिका नीतु तुलस्यान ने हाल ही में बैंगलुरु में आयोजित एक प्रतिष्ठित इंटरप्रेन्योरियल मेले में मुजफ्फरपुर का प्रतिनिधित्व किया।

बैंगलुरु में लीची आर्ट का जलवा
‘एस्पायर फॉर हर’ (Aspire For Her) और ‘भीम’ (BHIM) द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय मेले में नीतु तुलस्यान ने ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार की गई ‘लीचीपुरम आर्ट’ को प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में लीची की थीम पर आधारित हैंडबैग, साड़ियाँ, बेडशीट और होम डेकोर के सामान आकर्षण का केंद्र रहे।
इस दौरान नीतु तुलस्यान ने लीची डिज़ाइन वाली विशेष सिल्वर साड़ी पहनकर कैटवॉक किया और मुजफ्फरपुर की सांस्कृतिक विरासत को एक नए और आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया।

नव्या नंदा द्वारा सम्मान
नीतु तुलस्यान के इस प्रयास और कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें उद्यमी नव्या नंदा और मदुरा दास द्वारा प्रशस्ति पत्र और अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल नीतु तुलस्यान का है, बल्कि उन सभी ग्रामीण महिलाओं का है जो इस मिशन से जुड़ी हैं।
यह अभियान “लोकल प्राइड, ग्लोबल राइड” के सपने को साकार करते हुए मुजफ्फरपुर की ‘मीठी पहचान’ को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।