भारत में हवाई यात्रियों के हितों की रक्षा के लिए DGCA ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं। अगर एयरलाइन अपनी गलती से फ्लाइट कैंसिल करती है या देरी करती है, तो आप न सिर्फ रिफंड, बल्कि मुआवज़े (Compensation) और सुविधाओं (Amenities) के भी हकदार हैं।

1. अगर फ्लाइट कैंसिल हो जाए (Flight Cancellation)
अगर एयरलाइन फ्लाइट कैंसिल करती है, तो आपके अधिकार इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको इसकी जानकारी कब दी गई:
- 2 हफ्ते से पहले जानकारी: अगर एयरलाइन ने यात्रा की तारीख से 2 हफ्ते पहले बता दिया, तो वो सिर्फ फ्लाइट रीशेड्यूल करेंगे या रिफंड देंगे। कोई एक्स्ट्रा मुआवज़ा नहीं मिलेगा।
- 24 घंटे से कम समय में जानकारी: अगर एयरलाइन ने फ्लाइट छूटने के समय से 24 घंटे से कम समय में कैंसलेशन की जानकारी दी, तो उन्हें आपको दूसरी फ्लाइट (Alternative Flight) देनी होगी, या पूरा रिफंड देना होगा साथ ही, नुकसान की भरपाई के लिए मुआवज़ा (Compensation) देना पड़ सकता है।

मुआवज़े की राशि (अगर वैकल्पिक फ्लाइट नहीं स्वीकार की):
- 1 घंटे तक की फ्लाइट: ₹5,000 या वन-वे बेसिक किराया (जो भी कम हो)।
- 1 से 2 घंटे की फ्लाइट: ₹7,500 या वन-वे बेसिक किराया।
- 2 घंटे से ज्यादा की फ्लाइट: ₹10,000 या वन-वे बेसिक किराया।
2. अगर फ्लाइट लेट हो जाए (Flight Delay)
फ्लाइट में देरी होने पर एयरलाइन को यात्रियों के खाने-पीने और रहने का इंतजाम करना होता है:
- 2 से 5 घंटे की देरी: एयरलाइन को यात्रियों को फ्री नाश्ता या खाना (Meals/Refreshments) देना होगा।
- 6 घंटे या उससे ज्यादा की देरी: अगर फ्लाइट 6 घंटे से ज्यादा लेट है, तो एयरलाइन को आपको दूसरी फ्लाइट का विकल्प देना होगा, या पूरा पैसा रिफंड करना होगा।
- अगर फ्लाइट अगले दिन के लिए रीशेड्यूल हो (Overnight Delay): एयरलाइन को आपके लिए होटल में रुकने (Hotel Accommodation) और वहां तक जाने के लिए ट्रांसपोर्ट का खर्चा उठाना होगा।

3. अगर बोर्डिंग मना कर दी जाए (Denied Boarding)
कभी-कभी एयरलाइन्स जरूरत से ज्यादा टिकट बुक कर लेती हैं (Overbooking)। अगर आपके पास कंफर्म टिकट है और फिर भी आपको सीट नहीं दी जाती:
- एयरलाइन को तुरंत दूसरी फ्लाइट का इंतजाम करना होगा।
- अगर आप दूसरी फ्लाइट नहीं लेना चाहते, तो एयरलाइन को रिफंड के साथ-साथ तत्काल मुआवज़ा भी देना होगा (जो ₹20,000 तक हो सकता है)।
कब नहीं मिलेगा क्लेम? (Force Majeure)
एयरलाइन आपको मुआवज़ा देने के लिए बाध्य नहीं है अगर कैंसलेशन या देरी ऐसी वजहों से हुई है जो उनके नियंत्रण से बाहर हैं (Force Majeure), जैसे:
- खराब मौसम।
- हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) की समस्याएं।
- हड़ताल या सुरक्षा खतरे।
- प्राकृतिक आपदाएं।
(नोट: इंडिगो के मौजूदा संकट में अगर वजह ‘क्रू की कमी’ है, तो यह एयरलाइन की जिम्मेदारी मानी जा सकती है, लेकिन अगर वजह ‘मौसम’ बताई जाती है, तो मुआवज़ा मिलना मुश्किल होता है।)
शिकायत कहाँ करें?
अगर एयरलाइन आपकी बात नहीं सुन रही है, तो आप सरकार के AirSewa App या पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।